Saturday, February 29, 2020

तेरी रहमत के सदके - सिंपल शर्मा



रंगत ऐसी चडी रंग तुम्हरा लेकर, क्या से क्या हो गए हम नाम तुम्हरा लेकर
रोतो को हंसा देती हे माँ, सहजी बना देती हे मा
ऐसी लीला हे आदिशक्ती की क्या से क्या बना देती हे निर्मल माँ

तेरी रहमत के सदके ये सहजी तेरे, क्या से क्या हो गए देखते देखते
कल जिनके मुक्द्दर में कुछ भी न था ,बादशाह हो गए देखते देखते
तेरी रहमत के सदके

तेरी नज़रे करम जिस सर पे पड़ी, वो सर न झुके फिर कही कभी
तेरी शक्ति की जिसने भी तोहीन को......................2
वो फनाह हो गए देखते देखते................................2
कल जिनके मुक्द्दर में कुछ भी न था ,बादशाह हो गए देखते देखते

तेरे कदमो पे रख के जो सर रो दिया, अपनी ममता से उसकी खता बक्श दी
जिसके अन्दर से में में की बू आ गयी ..........................2
वो तबाह हो गए देखते देखते .....................................2
कल जिनके मुक्द्दर में कुछ भी न था ,बादशाह हो गए देखते देखते
तेरी रहमत के सदके

ऋषि मुनियों ने देवी देवताओ ने भी माँ को ढूढा मगर माँ भरम ही रही
माँ के घर का पता खोजने वाले खुद...................................2
लापता हो गए देखते देखते  .............................................2
कल जिनके मुक्द्दर में कुछ भी न था ,बादशाह हो गए देखते देखते
तेरी रहमत के सदके

सहजी बच्चो पे जब कभी मुश्किल पड़ी, माँ ही दुर्गा महाकाली चंडी बनी
तेरे खंडे की धारा से दुश्मन सभी ....................................2
सब सफा हो गए देखते देखते ........................................2
कल जिनके मुक्द्दर में कुछ भी न था ,बादशाह हो गए देखते देखते
तेरी रहमत के सदके
                                                          जय श्री माताजी 



मेरी दुनिया हे माँ - डॉ. सुब्रह्मनियम


मेरी दुनिया हे माँ तेरे इन चरणों में
सब सुख  पाया माँ तेरे इन चरणों में
मेरी दुनिया हे

मेरी राहो के दिए तेरी दो अंखिया माँ
मुझे वेदों से बड़ी ........2
तेरी दो बतिया माँ
मेरी दुनिया हे

 ना मिला युग युग में वो मिला हे पल में
तेरी ही दया से माँ ................2
आया तेरे चरणों में
मेरी दुनिया हे

संगीत का सागर माँ तेरे चरणों में
अमृत छलके माँ ...............
तेरे इन चरणों में
मेरी दुनिया हे
                                   जय श्री माताजी 

वो दिन दूर नहीं - रविन्द्र जैन


वो दिन दूर नहीं , वो दिन दूर नहीं 
जब कलयुग विदाई लेगा, सतयुग आँखे खोलेगा
बस सहज की बाते होंगी हर कंही .............................................2
वो दिन दूर नहीं

सब आत्माए सहज की धारा में नहायेंगी, पावन होकर पथ निर्वाण का पाएंगी
अपने रूप के दर्शन होंगे स्वय ही आत्म समर्पण होंगे
ह्दयो में प्रेम पलेगा,सतयुग आँखे खोलेगा
बस सहज की बाते होंगी हर कंही
वो दिन दूर नहीं

सब नदियों का जल गंगाजल होगा, नभ गृह द्वारा सबका मंगल होगा
प्राण दायिनी वायु बहेगी ऋतू सबके अनुकूल बहेगी
ऋषियों का स्वपन फलेगा सतयुग आँखे खोलेगा
बस सहज की बाते होंगी हर कंही
वो दिन दूर नहीं

कुगुरू कुधर्म कुदेव प्रभाव न होगा, माँ की कृपा से कोई अभाव न होगा
सब होंगे सत्पथ अनुगामी, स्वय के गुरु स्वय के स्वामी
और दीप से दीप जलेगा सतयुग आँखे खोलेगा
बस सहज की बाते होंगी हर कंही
वो दिन दूर नहीं

                                                    जय श्री माताजी 
       

झिलमिल बिंदिया का माथे पे


झिलमिल बिंदिया का माथे पे तारा निर्मल नैनो में स्नेह की धारा
शशि मुख पे स्मित रेखा रूप ऐसा नहीं देखा
सर्व सुहागन मिलकर आओ माताजी की पूजा रचाओ
शीश झुकाव शुभ आशीष पाओ
झिलमिल बिंदिया का

सतरंगी साड़ियो का घेरा बना के माँ को सजाओ री छुप के छुपाके
माता रानी पे दृष्टी बुरी पड़े न किसी बेरो की सखी लो री बलाए लो मैय्या के शुभ पेरो की
सतरंगी साड़ियो का घेरा बना के माँ को सजाओ री छुप के छुपाके
तेरी जय हो तेरी जय हो निर्मल माता तेरी जय हो
कुमकुम लाओ सिंदूर लाओ पंचामृत से चरण धुलाओ
शीश झुकाव शुभ आशीष पाओ
झिलमिल बिंदिया का

ओ री ओ झूठी लागे हर उपमा, अभिनव श्रंगार किये नैनो में प्यार लिए देवी सी लागे माँ
अभिनव श्रंगार किये नैनो में प्यार लिए देवी सी लागे माँ
जय हो जय ओ मेरी निर्मल माँ
मंगल गाओ पट हटाओ मैय्या के दर्शन सबको कराओ
शीश झुकाव शुभ आशीष पाओ
झिलमिल बिंदिया का

ममतामयी हे मेरी माता करुणामयी हे मेरी माता माता से स्नेह का नाता..........2
जय हो ............जय हो ..........जय हो ....... तेरी जय हो .....................
सर्व सुहागन मिलकर आओ माताजी की पूजा रचाओ
शीश झुकाव शुभ आशीष पाओ
झिलमिल बिंदिया का

                                                               जय श्री माताजी 






जरा गणपति पुले आके देखो


जरा गणपति पुले आके देखो
आदिशक्ति माँ निर्मल मिलेंगे
जरा गणपति

गणपति का स्वयंभू यंहा पर
गणपति भी यंहा पर मिलेंगे
जरा गणपति

देवी देव यंहा पर मिलेंगे
सारे गण भी यंहा मिलेंगे
जरा गणपति

पूरब पश्चिम के संत मिलेंगे
सहजयोगी यंहा पर मिलेंगे
जरा गणपति

ब्रह्मा विष्णु यंहा पर हे आते
निर्मला माँ की महिमा हे गाते
जरा गणपति
                                                                      जय श्री माताजी 

ये आत्म साक्षात्कार माँ तेरा अविष्कार


ये आत्म साक्षात्कार माँ तेरा अविष्कार अंतर में जल उठे दीप हजार
कलयुग में किये तूने नए चमत्कार
ये आत्म साक्षात्कार माँ तेरा अविष्कार

कुसंस्कारो की चट्टानें आसत्य की यंत्रणाये, भय शंका की श्रंखलाये पर्वत सी बहती मन्त्रणाये
सब कहा ढेह गयी बिखर कर बह गयी, तेरी करुणा की सान्द्र सागर में 
अगणित हम पर तेरे उपकार, कलयुग में किये तूने नए चमत्कार 
ये आत्म साक्षात्कार माँ तेरा अविष्कार

अत्याचारी का तर्जन, भ्रष्टाचारी का मर्दन, व्य्भ्चारी का नर्तन, ज्ञान विज्ञानं का सर्जन 
परिवर्तित सब केसे हुए तेरे मात्र प्रेम आदर में 
तूने सुझाया इस पार उस पार कलयुग में किये तूने नए चमत्कार 
ये आत्म साक्षात्कार माँ तेरा अविष्कार

शक्तिहीन की मुखरित आन्हे, दुर्बल की अर्चित बाहे,
नयी ज्योति से जगमग हो गयी पीड़ित की खंडित राहे
शक्तिदायी हुए वीरवर हो गए जाके निरानंद घर घर में
सबको जगाने हुआ तेरा अवतार कलयुग में किये तूने नए चमत्कार
ये आत्म साक्षात्कार माँ तेरा अविष्कार

नवयुगकर्ता हे तेरा अभिनन्दन, निर्मल मन से निर्मल माँ का वंदन
तू माता हम सहजयोग के नंदन, तेरा आशीष हर माथे का चन्दन
तेरी कृपा से भर लिया हमने सागर गागर में
तेरे चरणों में शत कोटि नमस्कार कलयुग में किये तूने नए चमत्कार
ये आत्म साक्षात्कार माँ तेरा अविष्कार
जय श्री माताजी 

  

वो जो सामने सहमे से बेठे हे


वो जो सामने सहमे से बेठे हे
दोनों जहाँ को समेटे बेठे हे
वो जो सामने

हर जर्रा कोहिनूर नज़र आता हे
वो हर सु समाये जो बेठे हे
वो जो सामने

क्यों ढूढता उन्हें इधर उधर
तेरे दिल में समाये जो बेठे हे
वो जो सामने

जो साथ नहीं दिरिफ्त हे तारीफी में
माँ अंजुम भी हुजूरी में आ बेठे हे
वो जो सामने

क्या नशा हे केसा हे ये जाने खुमा
जाने क्या क्या वो हमको दिलाये बेठे हे
वो जो सामने सहमे से बेठे हे

ये अजूबा नहीं वो हे ही ऐसी पारस
पत्थरों को भी सोना बनाये बेठे हे
वो जो सामने सहमे से बेठे हे

जाना जन्नत मुल्तवी कर दिया बेलोस
वो महफ़िल यही पे जमाये बेठे हे
वो जो सामने सहमे से बेठे हे
                                                                 जय श्री माताजी 




स्वागत आगत स्वागतम


स्वागत आगत स्वागतम हम सब करते स्वागतम
आज हमारे बिच पधारे श्री माताजी आप ही तारे
झूम झूम के झूम झूम के करते हे गान
स्वागत आगत

पूज्यवर माताजी के दर्शन पाकर करते हे स्वागत दिल से गाकर
प्रेम फूलो की माला पहनाते हे हम
स्वागत आगत

निर्मला माँ से विनती हमारी जीवन सुख से कर दे भारी
आनंद प्रेम शांती सदा ही रहे
स्वागत आगत


गाइए गणपति जगवंदन


गाइए गणपति जगवंदन, शंकरसुवन भावानिनंदन
गाइए गणपति

सिद्धिसदन गजवदन विनायक, कृपासिंधु सुन्दर सब दायक
गाइए गणपति जगवंदन

मोदकप्रिय मुद मंगल दाता, विद्यावारिधि बुधिविधाता
गाइए गणपति जगवंदन

मांगत तुलसीदास कर जोरे, बसही श्रीमाताजी मानस मोरे
बसही श्रीराम सिया मानस मोरे 
गाइए गणपति जगवंदन

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा


जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता तेरी पार्वती पिता महादेवा
जय गणपति देवा, गणपति देवा


अन्धो को आँख देत, कोडन को काया
बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया
जय गणपति देवा, गणपति देवा

पान चढ़ाओ, फुल चढ़ाओ और चढाओ मेवा
लड्डूओ का भोग लगे संत करे सेवा
जय गणपति देवा, गणपति देवा

एकदंत, देवदन्त चार भुजाधारी
मस्तक सिन्दूर शोभे चूहे की सवारी
जय गणपति देवा, गणपति देवा





ओमकार स्वरूपा सद्गुरु - सुरेश वाडकर


ओमकार स्वरूपा सद्गुरु समर्था
अनाथाच्या नाथा तुज नमो
तुज नमो तुज नमो, ओमकार स्वरूपा

नमो मायबापा गुरु कृपाधना
तोडीया बंधना माया मोहा
मोहजाल माझे कोण नीर क्षीर
तुझ विन दयाला सदगुरुराया
तुज नमो तुज नमो, ओमकार स्वरूपा

सदगुरुराया माझा आनंद सागर
त्रेलोक्या आधार गुरुराव
गुरुराव स्वामी असे स्वय प्रकश
ज्यापुढे उदास चन्द्र रवि
रवि, शशि, अग्नि, नेण तिच्या रूपा
स्वप्रकाश रूपा नेणे वेद
तुज नमो तुज नमो, ओमकार स्वरूपा

एका जनार्न्दानी गुरु परब्रह्म
तयाचे पेनाम सदा मुखी
तुज नमो तुज नमो, ओमकार स्वरूपा



जय श्री माताजी 

हेमजा सुतम भजे - गणेश स्तुति


हेमजा सुतम भजे गणेश मीश नंदनम
एकदंत वक्रतुंड नाग यज्ञ सुत्रकम
रक्त गात्र धूम्र नेत्र शुभ्र वस्त्र मण्डितम
कल्पवृक्ष भक्त रक्ष नमोस्तुते गजाननम
आ आ आ

पाश्पाणी चक्रपाणी मूषकादी रोहिनम
अग्निकोती सूर्यज्योति वज्रकोटि निर्मलम
चित्रमाल भक्तिजाल भालचंद्र शोभितम
कल्पवृक्ष भक्त रक्ष नमोस्तुते गजाननम
आ आ आ

भुत भव्य हव्य काव्य भृगुभार्ग वर्चितम
दिव्यवाहिनी काल जाल लोकपाल वन्दितम
पूर्ण ब्रह्म सूर्यवर्ण पुरुषम पुरातनम
कल्पवृक्ष भक्त रक्ष नमोस्तुते गजाननम
आ आ आ

विश्ववीर्य विश्वसूर्य विश्वकर्म निर्मलम
विश्व हर्ता विश्व कर्ता यत्र तत्र पूजितम
चतुर्मुखम चतुर्भुजम सेवितं चतुर्युगम
कल्पवृक्ष भक्त रक्ष नमोस्तुते गजाननम
आ आ आ


  जय श्री माताजी 




विनती सुनिए आदिशक्ति मेरी


विनती सुनिए आदिशक्ति मेरी, पूजन का अधिकार दीजिये
शरणागत हे हदय पुजारी
विनती सुनिए आदिशक्ति मेरी

गुरु चरणन की लागी लगन हे, तव चरणन में उतरा स्वर्ग हे
परेश्वरी हे मंगलकारी, खोये साधक पार उतारी
विनती सुनिए आदिशक्ति मेरी

प्रीत बहे अविरल नयनो से, हे हद्येश्वरी भव भय भंजन
माँ ऐसी शुभ शक्ति दीजिये, सब में जागे आनंद बिहारी
विनती सुनिए आदिशक्ति मेरी

और कहू क्या अन्तर्यामी, आत्म बोध अनुभूति की दात्री
आदि गुरु गुरुओ की माता, इस विनीत को गुरु पद दिजिये
विनती सुनिए आदिशक्ति मेरी

जय श्री माताजी 

विश्व वंदिता निर्मला माता


सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते
ब्रह्मरुपे सदानन्दे परमानंद स्वरूपिणी
रिद्धि सिद्धि प्रदे देवी नारायणी नमोस्तुते
शरणागत दिनार्थ परित्राण परायने
सर्व् स्वार्थ  हरे देवी नारायणी नमोस्तुते

विश्व वंदिता निर्मला माता, सर्वपूजिता निर्मला माता 
ब्रह्म स्वरूपिणी, योग निरुपिनी, शुभदाम वरदाम नमो नमह
विश्व वंदिता

जगत जननी निर्मला, मूल प्रकृति अखिलेश्वर की 
नित्य सत्य सनातना पराशक्ति परमेश्वर की 
विश्वधारिणी, मंगल कारिणी शुभदाम वरदाम नमो नमह
विश्व वंदिता

सहज्योगिनी निर्मला, निराश्रया सर्वेश्वरी 
प्रेम मूर्ति, भक्त वत्सला स्नेहमयी मातेश्वरी 
भक्ति प्रदायिनी, मुक्ति प्रदायिनी शुभदाम वरदाम नमो नमह
विश्व वंदिता

प्रगट सगुणा निर्गुणा रिद्धि सिद्धि की दात्री हे 
सौम्य सरला महामना पातांजलि गुण पात्री हे
घट घट वासिनी, आत्मविकासिनी शुभदाम वरदाम नमो नमह
विश्व वंदिता
 


इतना प्यार करेगा - सिंपल शर्मा



इतना प्यार करेगा कौन जीतना श्री माँ करते हे
जो भी माँ का ध्यान लगाये, जो भी माँ का ध्यान लगाये
भक्ति माँ देते हे पार माँ करते हे

कुंडलिनी जाग्रत करते हे सोई शक्ति जगा देते हे
ब्रह्म रंद्र तब खुल जाता हे श्री माँ जब कृपा करते हे
ऐसे दुःख हरेगा कौन जेसे श्री माँ हरते हे
जो भी माँ का ध्यान लगाये, जो भी माँ का ध्यान लगाये
भक्ति माँ देते हे पार माँ करते हे

सोये भाग्य जगाये माँ ने बिगड़े काम बनाये माँ ने
सारे जग की खुशिया दे दी निर्मल माया कोई न जाने
इतना ध्यान रखेगा कौन जितना श्री माँ रखते हे
जो भी माँ का ध्यान लगाये, जो भी माँ का ध्यान लगाये
भक्ति माँ देते हे पार माँ करते हे

निर्मल माँ ने हर सहजी को रंक से राजा बना दिया हे
आत्म ज्ञान सभी को देकर सह्जियो को पार किया हे
ऐसे पार करेगा कौन जेसे श्री माँ करते हे
जो भी माँ का ध्यान लगाये, जो भी माँ का ध्यान लगाये
भक्ति माँ देते हे पार माँ करते हे
 
                                                          जय श्री माताजी 




हम बच्चे भोले भाले


हम बच्चे भोले भाले गणपति के मतवाले
हमें अपने शरण में रखना माँ निर्मल शरण में रखना
हम बच्चे भोले भाले

हम जाने नहीं पूजा न जाने कोई अर्चना
जाना हे हमने इतना के हम हे तुम्हारी रचना
हम बच्चे भोले भाले गणपति के मतवाले
हमें अपने शरण में रखना माँ निर्मल शरण में रखना

चेतन्य ये जहा तक जाए हम सहज वहा फेलाए
हमे आत्म शक्ति देना और श्रद्धा भक्ति देना
हम बच्चे भोले भाले गणपति के मतवाले
हमें अपने शरण में रखना माँ निर्मल शरण में रखना

हमको सत्य मार्ग पर चलना नए युग के वाहक बनना 
बस यही हे निश्चय अपना पूरा हो आपका सपना
हम बच्चे भोले भाले गणपति के मतवाले
हमें अपने शरण में रखना माँ निर्मल शरण में रखना



ज्ञान दे ज्ञान दे माँ निर्मल



ज्ञान दे ज्ञान दे माँ निर्मल ज्ञान दे ज्ञान दे माँ निर्मल
भक्ति सुमन महके ह्दय में ज्ञान दे  माँ निर्मला निर्मल
ज्ञान दे ज्ञान दे

निर्मल का ज्ञान का सागर हो तुम, श्वेत सुन्दर शारदे 
दूर कर अवगुण हमारे निर्मल विद्या दान दे
आत्म ज्ञान की ज्योति जला दो सुप्त ह्दय में प्राण दे
ज्ञान दे ज्ञान दे

हे बहुत से स्वपन्न मन में सर्व जन कल्याण दे
हम हे तेरी संतान माते सहज जग निर्माण दे
विश्व निर्मल धर्म फेले यही हमें वरदान दे
ज्ञान दे ज्ञान दे

आदि माँ तू आदि भावानी तू प्रतिपालक जन कल्याणी
ब्रह्मा विष्णु शिव  शंकर में तेरा ही हे तेज समाया
ह्दय समर्पित श्री चरणन में पूर्ण कृपा कर हे वरदानी
चित्त सदा रहे तव चरणन में  यही हमें वरदान दे
ज्ञान दे ज्ञान दे


अन्यथा शरणम नास्ति


अन्यथा शरणम नास्ति त्वमेव शरणम् मम
ह्दयम समर्पयामि प्राणं समर्पयामि
तव पाद पदमि माता सर्व समर्पयामि
अन्यथा शरणम

त्वमेव साक्षात् हरी प्रिय त्वमेव माँ वागेश्वरी
महादुर्गा महाकाली महामाया महेश्वरी
भाग्यम समर्पयामि कर्मम समर्पयामि
तव पाद पदमि माता सर्व समर्पयामि
अन्यथा शरणम

स्वय साध्य स्वय सिद्धि स्वय सिद्धा स्वय प्रभा
सुगुण रत्न सुकृत कृता सुमति गंगा समोज्व्ला
मानं समर्पयामि गानं समर्पयामि
तव पाद पदमि माता सर्व समर्पयामि
अन्यथा शरणम

अनिर वचनीय आनंदी सुखकरनी दुःख हारिणी
योग संस्थापनार्थय अविरल विश्व विहारिणी
संगम समर्पयामि पुण्यं समर्पयामि
तव पाद पदमि माता सर्व समर्पयामि
अन्यथा शरणम

तिमिरा वृता दिशाहिना आत्मस्य पाप नाशिनी
बहुजन हिताय वाणी तव् शाश्वत सत्य प्रकाशिनी
आद्यम समर्पयामि अन्तम समर्पयामि
तव पाद पदमि माता सर्व समर्पयामि
अन्यथा शरणम




                                                              जय श्री माताजी

सहजी हमे बनाया - सिंपल शर्मा

सहजी हमे बनाया , ये करम नहीं तो क्या हे मेरा मर्तबा बढाया , ये करम नहीं तो क्या हे सहजी हमे बनाया मे गमो की धुप में जब तेरा नाम लेके न...