वो जो सामने सहमे से बेठे हे
दोनों जहाँ को समेटे बेठे हे
वो जो सामने
हर जर्रा कोहिनूर नज़र आता हे
वो हर सु समाये जो बेठे हे
वो जो सामने
क्यों ढूढता उन्हें इधर उधर
तेरे दिल में समाये जो बेठे हे
वो जो सामने
जो साथ नहीं दिरिफ्त हे तारीफी में
माँ अंजुम भी हुजूरी में आ बेठे हे
वो जो सामने
क्या नशा हे केसा हे ये जाने खुमा
जाने क्या क्या वो हमको दिलाये बेठे हे
वो जो सामने सहमे से बेठे हे
ये अजूबा नहीं वो हे ही ऐसी पारस
पत्थरों को भी सोना बनाये बेठे हे
वो जो सामने सहमे से बेठे हे
जाना जन्नत मुल्तवी कर दिया बेलोस
वो महफ़िल यही पे जमाये बेठे हे
वो जो सामने सहमे से बेठे हे
जय श्री माताजी
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