वो दिन दूर नहीं , वो दिन दूर नहीं
जब कलयुग विदाई लेगा, सतयुग आँखे खोलेगा
बस सहज की बाते होंगी हर कंही .............................................2
वो दिन दूर नहीं
सब आत्माए सहज की धारा में नहायेंगी, पावन होकर पथ निर्वाण का पाएंगी
अपने रूप के दर्शन होंगे स्वय ही आत्म समर्पण होंगे
ह्दयो में प्रेम पलेगा,सतयुग आँखे खोलेगा
बस सहज की बाते होंगी हर कंही
वो दिन दूर नहीं
सब नदियों का जल गंगाजल होगा, नभ गृह द्वारा सबका मंगल होगा
प्राण दायिनी वायु बहेगी ऋतू सबके अनुकूल बहेगी
ऋषियों का स्वपन फलेगा सतयुग आँखे खोलेगा
बस सहज की बाते होंगी हर कंही
वो दिन दूर नहीं
कुगुरू कुधर्म कुदेव प्रभाव न होगा, माँ की कृपा से कोई अभाव न होगा
सब होंगे सत्पथ अनुगामी, स्वय के गुरु स्वय के स्वामी
और दीप से दीप जलेगा सतयुग आँखे खोलेगा
बस सहज की बाते होंगी हर कंही
वो दिन दूर नहीं
जय श्री माताजी
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