ये आत्म साक्षात्कार माँ तेरा अविष्कार अंतर में जल उठे दीप हजार
कलयुग में किये तूने नए चमत्कार
ये आत्म साक्षात्कार माँ तेरा अविष्कार
कुसंस्कारो की चट्टानें आसत्य की यंत्रणाये, भय शंका की श्रंखलाये पर्वत सी बहती मन्त्रणाये
सब कहा ढेह गयी बिखर कर बह गयी, तेरी करुणा की सान्द्र सागर में
अगणित हम पर तेरे उपकार, कलयुग में किये तूने नए चमत्कार
ये आत्म साक्षात्कार माँ तेरा अविष्कार
अत्याचारी का तर्जन, भ्रष्टाचारी का मर्दन, व्य्भ्चारी का नर्तन, ज्ञान विज्ञानं का सर्जन
परिवर्तित सब केसे हुए तेरे मात्र प्रेम आदर में
तूने सुझाया इस पार उस पार कलयुग में किये तूने नए चमत्कार
ये आत्म साक्षात्कार माँ तेरा अविष्कार
शक्तिहीन की मुखरित आन्हे, दुर्बल की अर्चित बाहे,
नयी ज्योति से जगमग हो गयी पीड़ित की खंडित राहे
शक्तिदायी हुए वीरवर हो गए जाके निरानंद घर घर में
सबको जगाने हुआ तेरा अवतार कलयुग में किये तूने नए चमत्कार
ये आत्म साक्षात्कार माँ तेरा अविष्कार
नवयुगकर्ता हे तेरा अभिनन्दन, निर्मल मन से निर्मल माँ का वंदन
तू माता हम सहजयोग के नंदन, तेरा आशीष हर माथे का चन्दन
तेरी कृपा से भर लिया हमने सागर गागर में
तेरे चरणों में शत कोटि नमस्कार कलयुग में किये तूने नए चमत्कार
शक्तिहीन की मुखरित आन्हे, दुर्बल की अर्चित बाहे,
नयी ज्योति से जगमग हो गयी पीड़ित की खंडित राहे
शक्तिदायी हुए वीरवर हो गए जाके निरानंद घर घर में
सबको जगाने हुआ तेरा अवतार कलयुग में किये तूने नए चमत्कार
ये आत्म साक्षात्कार माँ तेरा अविष्कार
नवयुगकर्ता हे तेरा अभिनन्दन, निर्मल मन से निर्मल माँ का वंदन
तू माता हम सहजयोग के नंदन, तेरा आशीष हर माथे का चन्दन
तेरी कृपा से भर लिया हमने सागर गागर में
तेरे चरणों में शत कोटि नमस्कार कलयुग में किये तूने नए चमत्कार
ये आत्म साक्षात्कार माँ तेरा अविष्कार
जय श्री माताजी
जय श्री माताजी
No comments:
Post a Comment