हेमजा सुतम भजे गणेश मीश नंदनम
एकदंत वक्रतुंड नाग यज्ञ सुत्रकम
रक्त गात्र धूम्र नेत्र शुभ्र वस्त्र मण्डितम
कल्पवृक्ष भक्त रक्ष नमोस्तुते गजाननम
आ आ आ
पाश्पाणी चक्रपाणी मूषकादी रोहिनम
अग्निकोती सूर्यज्योति वज्रकोटि निर्मलम
चित्रमाल भक्तिजाल भालचंद्र शोभितम
कल्पवृक्ष भक्त रक्ष नमोस्तुते गजाननम
आ आ आ
भुत भव्य हव्य काव्य भृगुभार्ग वर्चितम
दिव्यवाहिनी काल जाल लोकपाल वन्दितम
पूर्ण ब्रह्म सूर्यवर्ण पुरुषम पुरातनम
कल्पवृक्ष भक्त रक्ष नमोस्तुते गजाननम
आ आ आ
विश्ववीर्य विश्वसूर्य विश्वकर्म निर्मलम
विश्व हर्ता विश्व कर्ता यत्र तत्र पूजितम
चतुर्मुखम चतुर्भुजम सेवितं चतुर्युगम
कल्पवृक्ष भक्त रक्ष नमोस्तुते गजाननम
आ आ आ
जय श्री माताजी
No comments:
Post a Comment