आया हु दरबार तुम्हारे, बहुत दिनन का भुला भटका
ले ले श्री माँ चरण तिहारे,आया हु दरबार तुम्हारे
निर्मल नाम पतित पावन हे, चन्हुदिश गावत सब सहजन हे
इस अमृत से पावन होले .........................2
ले ले श्री माँ चरण तिहारे,आया हु दरबार तुम्हारे
धन नहीं मांगू, मांगू न सत्ता, ढूंढे पथिक तेरे प्यार का रस्ता
निर्मल छाँव की ठंडी फुहार में .........................2
ले ले श्री माँ चरण तिहारे,आया हु दरबार तुम्हारे
भाग बड़े तुमसे मन लागा, अंतर आत्मा तब से जागा
सहजी कहे सुन अर्ज हमारी.........................2
ले ले श्री माँ चरण तिहारे,आया हु दरबार तुम्हारे
जय श्री माताजी
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