Tuesday, March 24, 2020

ऐसा वरदान दे दो हमें माँ - सिंपल शर्मा


ऐसा वरदान दे दो हमें माँ , सुख में उछले ना हम दुःख में डोले
अपने अंदर ही खुद झाक कर हम गलतिया अपनी खुद ही टटोले
ऐसा वरदान दे दो हमें माँ

हो सके तो करे हम भलाई, हर बुराई से बचते रहे हम
नेक राहो में आये जो मुसीबत, हँसते हँसते ही उसको सहे हम
हर बेगाने को कर ले जो अपना, मधुर वाणी हमेशा ही बोले
अपने अंदर ही खुद झाक कर हम गलतिया अपनी खुद ही टटोले
ऐसा वरदान दे दो हमें माँ

हमको कुंदन बना दो श्री माँजी, लाख चाहे पड़े क्यों ना तकना
कुछ भुगतान हो जाए पिछला, कुछ अगला संवर जाए अपना
तेरी करुणा गंगा में निर्मल, काले कर्मो की हम मेल धो ले
अपने अंदर ही खुद झाक कर हम गलतिया अपनी खुद ही टटोले
ऐसा वरदान दे दो हमें माँ

तेरी इच्छा बिना कुछ ना होगा, तेरे हाथो में सृष्टि की डोरी
तुझसे क्या श्री माँ रखे छुपा के, तुझसे किस बात की फिर हे चोरी
किस पटारी में क्या हे तू जानें, किसको खोले के या हम ना खोले
अपने अंदर ही खुद झाक कर हम गलतिया अपनी खुद ही टटोले
ऐसा वरदान दे दो हमें माँ
                                                                 जय श्री माताजी 







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