Sunday, March 1, 2020

प्यासा पपीहा जेसे - दीपक वर्मा


प्यासा पपीहा जेसे  पुकारे देख के बादल शाम
ऐसी लगन से में भी पुकारू नाम तेरा सुबह शाम
निर्मल माँ - निर्मल माँ - निर्मल माँ

बन जाए मेरी ऐसी सहज सी निष्ठा माँ के चरण में
माता पिता का जैसा भरोसा होता हे बालक हे मन में
सागर समर्पित नदिया को जेसे भाता नहीं विश्राम
ऐसी लगन से में भी पुकारू नाम तेरा सुबह शाम
निर्मल माँ - निर्मल माँ - निर्मल माँ

माँ का ही चिंतन माँ का ही अर्चन माँ का ही वंदन करू में
माँ का मनोहर दर्शन करू और ऐसा मगन सा रहू में
चंदा को देखे जेसे चकोरा, भूल के सारे काम
ऐसी लगन से में भी पुकारू नाम तेरा सुबह शाम
निर्मल माँ - निर्मल माँ - निर्मल माँ

श्री माँ मुझको सहज कृपा की ऐसी प्रतीक्षा रहेगी
फुल कमल का जेसे ये सोचे केसे ये रात कटेगी
सुबह में मिलकर जेसे वो सूरज को करता प्रणाम
ऐसी लगन से में भी पुकारू नाम तेरा सुबह शाम
निर्मल माँ - निर्मल माँ - निर्मल माँ

                                                     जय श्री माताजी 

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