गणपति मुझे दिन की विनती करो परवान तुम
दिन में, तुम हो दयालु दाता कृपा निधान तुम
गणपति मुझे दिन की
ब्रह्मा विष्णु और सदा शिव अर्चना करते तेरी
ज्ञान का प्रकाश भर दो हम गाये महिमा तेरी
क्या कमी उसको हे रहती, जिस पे हो दयावान तुम
गणपति मुझे दिन की
स्नेहमयी माँ के हो प्यारे, निर्मल माँ के लाल तुम
शीश गजानन मूषक वाहन, भक्तो के प्रतिपाल हो
नत मस्तक हो तुम्हे पुकारे, हो बुद्दी की खान तुम
गणपति मुझे दिन की
मूलाधार में तुम हो विराजे, करो कृपा तुम आन पर
अपने गुण हम सबमे भर दो, अपना बालक जानकर
महका दो मन का बगीचा, निर्मल माँ के लाल तुम
गणपति मुझे दिन की
जय श्री माताजी
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