Sunday, March 29, 2020

जिक्र निर्मल तेरा पाक निर्मल हे तू

यंहा नहीं हे वंहा नहीं हे, क्या हर इक शय से अय्याँ नहीं हे
खुदा कहा हे ये पूछते हो, भला बताओ तो कहा नहीं हे

बना के खुद को बन्दा, तुझको सजदा कर लिए मेने
अब महंगा हो के सस्ता हो, ये सौदा कर लिए मेने
किसी भी दर पे झुकने की नौबत नहीं आती
निर्मला पाक पर जब से भरोसा कर लिया मेने

जिक्र निर्मल तेरा पाक निर्मल हे तू,
कोई तुझसा नहीं सबसे बढ़कर हे तू
निर्मला निर्मला मेरी माँ निर्मला
निर्मला निर्मला निर्मला निर्मला

लफ्ज उनसे बनाए जमी ताफ़लक
तेरे मोहताज हे जिन्न बशर और मलक
हर नज़ारे में पाकीज जी की झलक
नूर फैला हुआ हे तेरा चारो शु , अल्लाह हु वाद हु या शरीक अल्लाह हु
अल्लाहु हु, अल्लाहु हु , अल्लाहु हु
जिक्र निर्मल तेरा

जिस्म दिल को दिया दिल को धड़कन भी दी
देके आँखे मुझे रौशनी  बक्श दी
पैदा करने से पहले दिया रिजक भी
सबका राजिक हे मालिक हे पालिक हे तू
अल्लाह हु वाद हु या शरीक अल्लाह हु
अल्लाहु हु, अल्लाहु हु , अल्लाहु हु
जिक्र निर्मल तेरा

सबसे बढ़कर याही नाम हे या खुदा
निर्मला माँ की उन्मत में पैदा किया
शुक्र तेरा करे केसे हम सब बता
हम हे बन्दे तेरे और माता हे तू
निर्मला निर्मला मेरी माँ निर्मला
निर्मला निर्मला निर्मला निर्मला
जिक्र निर्मल तेरा

                                               जय श्री माताजी 




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