एक है सबका माली, फूल है सब इक डाल के
धरम के नाम पे मत इन्हें लुटो। मिथ्या भरम में डाल के
एक है सबका माली
सब एक ही प्रभु के अंग है, सबमे समाई उसकी खुशबू
सबमे उसी के रंग है
सब फूलो से प्यार करे वो, सबको रखे संभाल के
एक है सबका माली
यहाँ फैली हुई है कुरुतिया, धर्म ज्ञान व्यवसाय बनाके
करते लोग अनीतिया।
प्रभु के पंथ से भटकाते है, अपने पन्थ निकाल के
एक है सबका माली
मत दोष लगाओ धर्म को, स्वयं को जांचों स्वयं को परखो, परखो अपने कर्म को।
श्री माताजी से अनुभव लो, सहज का अमृत डाल के
एक है सबका माली
जब स्वयं से लौ लग जायेगी, ज्ञान की ज्योत अखंड जलेगी कुंडलिनी जग जाएगी।
अपने घट में दर्शन होंगे, परमेश्वर प्रतिपाल के
एक है सबका माली
जय श्री माताजी
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