Tuesday, March 24, 2020

है माँ निर्मल माँ - दिनेश निम्बालकर



है माँ निर्मल माँ, में तेरे चरण की धूल
तेरे दरस को तरस रहा है, ये बगिया का फूल

तेरे नयनो में देख के हमने, जीवन रस को जाना
तू ही तू ही है दिल मे समाई अब किसको क्या पाना
तू श्री माँ है , हम तेरे बालक क्षमा कर सबकी भूल
तेरे चरण की धूल, है माँ निर्मल माँ, में तेरे चरण की धूल

तू है ह्दय में तू ही है दिल मे तू ही है तन में तू ही है मन मे
जीवन ज्योति कर दे रोशन सागर प्यार का भर दे मैन में
भुला भटका अज्ञानी में, कर ले मुझको कुबूल
तेरे चरण की धूल, है माँ निर्मल माँ, में तेरे चरण की धूल

गंगा सागर निर्मल पानी, निर्मल नाम है अन्तर्यामी
माँ की महिमा अपरंपार, माँ के गुण को गा ले प्राणी
अमृतवाणी माँ के मुख से सुन ले माँ के फूल
तेरे चरण की धूल, है माँ निर्मल माँ, में तेरे चरण की धूल
                       जय श्री माताजी


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