गौर जी नंदन श्री गणेश को प्रणाम कीजिये
निर्मल माँ के बेटे का नाम लीजिये
गौर जी नंदन श्री गणेश को
पुतला बनाया गौरा चेतन्य समेट के, पुतले में प्राण भरे दिव्य शक्ति से
करना स्नान हे तू निगेहबान हे, अन्दर ना आये कोई इनकार कीजिये
गौर जी नंदन श्री गणेश को
भोला भंडारी आये दूर से ध्यान लगाए
कौन हे नन्हा बच्चा किस कारण यंहा पे आये
अन्दर न जाने दिया बालक इनकार किया
मार त्रिशूल भोले, शीश को काट दिया
आई गौर महारानी आँखों में छाया पानी
बालक को जीवित कर दो होगी बड़ी मेहरबानी
जंगल में जाए थे गज शीश लाये थे
उठो गजराज अमृत जल पीजिये
गौर जी नंदन श्री गणेश को
जो भी ध्यावे पहले गणपत गणेश को
सभी दुःख दूर हरे, काटे कलेश को
सूत महेश हे नाम गणेश हे, श्री माँ के लाडले का नित नाम लीजिये
गौर जी नंदन श्री गणेश को
जय श्री माताजी
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