माँ हम पे कृपा करना, माँ हम पे दया करना
वैकुंठ तो यही हे हदय में रहा करना
माँ हम पे कृपा करना
ढूंढेंगे राग बनकर वीणा के तार बनकर
बस जाओ श्री माँ निर्मल हदय में प्यार बनकर
हर रागिनी की धुन पर स्वर बन के उठा करना
माँ हम पे कृपा करना
हम पार हो गए हे ले कर के सहज भक्ति
अपनी शरण में रखना माँ निर्मल आदिशक्ति
बन सहस्त्रार धारा प्राणों में बहा करना
माँ हम पे कृपा करना
नाचेंगे मोर बन कर माँ निर्मल तेरे द्वारे
माँ निर्मल छाई रहना बन कर के मेघ तारे
अमृत की धार बन कर प्यासों पे दया करना
माँ हम पे कृपा करना
जय श्री माताजी
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