हर देश में तू, हर वेश में तू .....................................2
तेरे नाम अनेक तू एक ही हे ....................................2
हर देश में तू
सागर से उठा बादल बनकर, बादल से बहा हे जल बनकर
फिर नाहर बनी नदिया गहरी, तेरे भिन्न स्वरुप तू एक ही हे
हर देश में तू
मिटटी से अणु परमाणु बना, फिर दिव्य जगत का रूप लिया
फिर पर्वत विश्व विशाल बना, सौन्दर्य तेरा तू एक ही हे
हर देश में तू
वो दृश्य दिखया हे जिश्ने, ये हे श्री माँ की पूर्ण कृपा
तुकड्या कहे तू अब और ना दिखा, ये में और तू सब एक ही हे
हर देश में तू
जय श्री माताजी
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