लाली मेरी मात की, जित देखू उत लाल
लाली देखण में गई, ते में आप भी हो गयी लाल
पहन के चोला लाल, श्री माँ जी मेरे घर आये
मेरे घर आये मेरे घर आये,
पहन के चोला लाल
आज हमने निर्मल माँ की ज्योत जगाई
आई हे माँ निर्मल अंखिया बिछाई हे ....................अंखिया बिछाई हे
ओढ चुनरिया लाल श्री माँ जी मेरे घर आये
मेरे घर आये मेरे घर आये
हाथो में प्यारी प्यारी चुडिया पहनाई हे
माथे पे प्यारी प्यारी बिंदिया सजाई हे.....................बिंदिया सजाई हे
होके शेरो पे सवार श्री माँ जी मेरे घर आये
मेरे घर आये मेरे घर आये
पेरो में प्यारी प्यारी झांझर पहनाई हे
बिछुए पहनाये और मेहँदी लगाईं हे ....................... मेहँदी लगाईं हे
कर के सोलह श्रंगार श्री माँ जी मेरे घर आये
मेरे घर आये मेरे घर आये
माँ की चुनरी का क्या करू वर्णन , माँ ने डूबे हुओ को तारा हे
लोग ये चाँद जिसे कहते हे, माँ की चुनरी का एक सितारा हे
हर सहजी में निर्मल समाई हे
निर्मल माँ में सारी सृष्टी रचाई हे ............................ सृष्टी रचाई हे
सब सहजी हो गए पार, श्री माँ जी मेरे घर आये
मेरे घर आये मेरे घर आये
जय श्री माताजी
No comments:
Post a Comment