अपने हदय के सरे द्वार खोल,
प्रेम दायिनी माँ की हो कृपा अनमोल
निर्मल माँ को जिसने जाना, उसका ही हित होने वाला
जीवन में अमृत रस घोल, प्रेम दायिनी माँ की हो कृपा अनमोल
अपने हदय के सरे द्वार खोल
जाग बावरे खुद को जान
जाग बावरे खुद को जान, अपनी ही शक्ति को पहचान
जागृत के वो वो पथ खोल, निरानंद निरानंद झरे अनमोल
सोई आत्मा में स्वानंद जागा, ब्रह्मानंद का राग समाया
लीलानंद में जीवन तोल, निरानंद निरानंद झरे अनमोल
अपने हदय के सरे द्वार खोल,
प्रेम दायिनी माँ की हो कृपा अनमोल
जय श्री माताजी
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