भर दे ज्ञान से गगरिया, मेरी निर्मल माँ
मेरी निर्मल माँ -----------------2
भर दे ज्ञान से गगरिया
में बालक नादान ज्ञान का पान प्रेम से पीलू
लेकर तेरा नाम जगत में हर्षित मन से जी लू
तेरी प्यारी हे नगरिया मेरी निर्मल माँ.............मेरी निर्मल माँ
भर दे ज्ञान से गगरिया
मान की मूरत, ज्ञान की सूरत, अजब नेह दर्शाती
सोम तीर्थ सा जल आँखों में, अमृत सा बरसाती
इसमें बीते मेरी उमरिया मेरी निर्मल माँ.............मेरी निर्मल माँ
भर दे ज्ञान से गगरिया
अगन गगन जल पृथ्वी ऊपर, माँ की महिमा न्यारी
जीव लोक आनंद दायिनी सकल लोक हितकारी
न्यारी जग में तेरी डगरिया मेरी निर्मल माँ.............मेरी निर्मल माँ
भर दे ज्ञान से गगरिया
भर्मित मन से मुर्खता में कितना समय बिताया
भटका राही सत पथ ग्राही तेरी शरण में आया
रंगी ली भक्ति में चुनरिया मेरी निर्मल माँ.............मेरी निर्मल माँ
भर दे ज्ञान से गगरिया
जय श्री माताजी
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