हर पल विचारो में विचरती, आदि माँ वो आप हे
अब यह तो अब वहा, मुझे भासती ही आप हे
हर पल विचारो में
दूरियों में आप हे, नजदीकियों में आप हे
मेरे हदय में बेठ क्र, मेरी खुदी का नाप हे
हर पल विचारो में
नन्हा सा कतरा बन नज़ारा, कर रहा हु आपका
कतरे की में हे मिट गयी, बस आप ही बस आप हे
हर पल विचारो में
ना रही बुलबुल, ना रहा हे, हे वो कफस का शौरगुल
लखते जिगर रोशन हुआ, वो रोशनी ही आप हे
हर पल विचारो में
जय श्री माताजी
No comments:
Post a Comment