जागो कुंडलिनी माँ, करो सबपे कृपा
सहस्त्रार में आक, छु ही लेंगे वो हम आसमा
जागो कुंडलिनी माँ
मूलाधार में तुम बेठी हो माँ, सदियों से तुम सोयी हुई
इच्छा हुई पाले तुझको, हासिल हो तुम जागो कुंडलिनी माँ
समा जाओ माँ मज्जा में अभी, सभी चक्र तुम निरंजित करो
गणेशा स्वयं पूजे तुझको, शरण में तेरी जागो कुंडलिनी माँ
सोई आत्मा में प्रकाश भरो, जो बिखरे हे चित एकत्रित करो
तभी दूर होंगे अँधेरे, रौशनी में तेरी जागो कुंडलिनी माँ
जय श्री माताजी
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