भजो रे भैय्या राम गोविन्द हरी....................................2
राम गोविन्द हरी .....................................
भजो रे भैय्या
जप तप साधन नहीं कछु लागत
हर जत नहीं गठरी
भजो रे भैय्या राम गोविन्द हरी
संतत संपत सुख के कारण
दासो भूल पड़ी
भजो रे भैय्या राम गोविन्द हरी
कहत कबीरा राम ना जा मुख
ता मुख धुल भरी
भजो रे भैय्या राम गोविन्द हरी
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