नेत्र खोल चले माता की नगरिया,
जहा क्षमा मिले तेरे पाप कटे
तुझे मोक्ष मिले, मोक्ष मिले
नेत्र खोल चले
सहस्त्रकमलदल महाशक्ति विराजे, संत करे जयकार हो
जो मानव निर्मला जी पूजे, हो जाये भाव से पार हो
ज्ञान भरे सहजयोग दायिनी, विश्व निर्मला मात हो
नेत्र खोल चले
मृदभाषी सत्कर्म करे जा, कर पक्का विश्वास हो
खुदगर्जी छल कपट छोड़ नर, करले आत्मविश्वास हो
करुणामयी की तेरे घट में नगरिया, काहे मनवा उदास हो
नेत्र खोल चले
पूर्ण हदय से जो निर्मला पूजे, सुनती माता पुकार हो
अम्पूर्ण विश्व की जननी माता, सबसे करती प्यार हो
जोत जले जिस घट में माँ की, महापाप कट जात हो
नेत्र खोल चले
अवलोकन कर अंतरात्मा, मिले महासुख भ्रात हो
हीरा जीवन का हे सार यही, माँ निरानंद साक्षात् हो
सहजयोग माँ की नगरी पथ हे, क्र शुभयात्रा हे तात हो
नेत्र खोल चले
जय श्री माताजी
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